
हिमाचल सरकार की योजनाओं से किसानों को आत्मनिर्भर बनने में मिल रही है मदद, बिलासपुर का युवा बना स्वावलंबी
बिलासपुर
हिमाचल प्रदेश सरकार की विभिन्न योजनाओं और प्रशिक्षण कार्यक्रमों का लाभ उठाकर बिलासपुर के युवा नरेंद्र सिंह ने मशरूम उत्पादन के क्षेत्र में एक नई मिसाल कायम की है। सरकारी सहयोग से उन्होंने एक सफल उद्यमी के रूप में अपनी पहचान बनाई और न केवल अपनी आजीविका सुदृढ़ की बल्कि अन्य ग्रामीण युवाओं को भी रोजगार के अवसर प्रदान किए।
सरकारी योजनाओं से मिली प्रेरणा और मार्गदर्शन
नरेंद्र सिंह ने हिमाचल प्रदेश सरकार के उद्यान विभाग, बिलासपुर की सहायता से मशरूम उत्पादन की ट्रेनिंग ली और वर्ष 2008 में मात्र 8000 रुपए की लागत से 100 मशरूम कंपोस्ट बैग के साथ इस व्यवसाय की शुरुआत की। इसके बाद उन्होंने नेशनल रिसर्च सेंटर फॉर मशरूम (NRCM) सोलन से उन्नत तकनीकों की जानकारी प्राप्त की।
बैंक ऋण और सरकारी सहयोग से हाईटेक यूनिट की स्थापना
वर्ष 2016-17 में हिमाचल सरकार के सहयोग से उन्होंने बैंक ऋण प्राप्त कर मशरूम खाद, बीज एवं उत्पादन इकाई स्थापित की। उद्यान विभाग और डीएमआर सोलन के मार्गदर्शन में उन्होंने एक हाईटेक इंटीग्रेटेड यूनिट विकसित की, जहाँ मात्र 13 दिनों में उच्च गुणवत्ता की मशरूम खाद तैयार होती है।
मशरूम उत्पादन से सैकड़ों किसानों को लाभ
नरेंद्र सिंह ने विगत वर्ष 28,000 मशरूम कंपोस्ट बैग किसान परिवारों को उपलब्ध कराए, जिससे उन्हें अत्यंत सकारात्मक परिणाम देखने को मिले। इस वर्ष यह संख्या बढ़ाकर 50,000 बैग कर दी गई है, जिसे हिमाचल प्रदेश के विभिन्न जिलों में वितरित किया गया है। इस प्रयास से 2000 से अधिक किसान परिवार लाभान्वित हुए हैं।
उनकी मशरूम खाद की आपूर्ति बिलासपुर, सोलन, मंडी, हमीरपुर, ऊना, शिमला एवं कांगड़ा जैसे जिलों में की जा रही है, जबकि ताजा मशरूम बिलासपुर, सुंदरनगर, मंडी, कुल्लू, मनाली, सोलन एवं शिमला की मंडियों में भेजी जा रही है।
स्थानीय युवाओं के लिए स्वरोजगार के अवसर
मशरूम खेती से न केवल नरेंद्र सिंह की आर्थिक स्थिति मजबूत हुई, बल्कि उन्होंने 8-10 ग्रामीण बेरोजगार युवाओं को स्थायी रोजगार भी प्रदान किया। कठिन भौगोलिक परिस्थितियों के बावजूद उन्होंने यह प्रोजेक्ट सफलतापूर्वक स्थापित किया, जिसमें जैविक एवं पौष्टिक उत्पादों का उत्पादन किया जाता है।
राष्ट्रीय स्तर पर मिला सम्मान
उनकी इस सफलता को राष्ट्रीय स्तर पर भी सराहा गया है।
2021-22 में उन्हें "राष्ट्रीय स्तर का बेस्ट मशरूम ग्रोवर्स अवार्ड ऑफ इंडिया" ICAR – डायरेक्टरेट ऑफ मशरूम रिसर्च, चंबाघाट, सोलन द्वारा प्रदान किया गया।
कृषि विश्वविद्यालय जम्मू द्वारा नवोन्मेषी किसान पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया।
आर्थिक उन्नति और भविष्य की योजनाएँ
मशरूम खेती शुरू करने से पहले उनकी वार्षिक आय मात्र 50-60 हजार रुपए थी, लेकिन अब यह बढ़कर 10-12 लाखrupaye प्रति वर्ष हो गई है। यह सफलता हिमाचल प्रदेश के किसानों और बेरोजगार युवाओं के लिए एक प्रेरणा बन गई है।
भविष्य में वे औषधीय मशरूम प्रजातियों जैसे कीड़ा जड़ी, शिटाके, रिशी, हेरेशियम, काबुल डिंगरी, काला कपड़ा, दूधिया, एवं पराली डिंगरी पर काम करने की योजना बना रहे हैं, जिनकी बाजार में लाखों रुपए तक की कीमत होती है।
ऑनलाइन ट्रेनिंग से युवाओं को मिल रहा लाभ
इसके अतिरिक्त, नरेंद्र सिंह ने "हिल एग्रो मशरूम" नामक यूट्यूब चैनल की शुरुआत की है, जहां किसानों, नवोद्यमियों एवं बेरोजगार युवाओं को ऑनलाइन मशरूम ट्रेनिंग एवं कंसलटेंसी दी जाती है। हजारों युवा इस पहल से जुड़कर प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं।
हिमाचल सरकार के सहयोग से आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ते कदम
हिमाचल सरकार द्वारा कृषि एवं उद्यानिकी क्षेत्र में चलाई जा रही योजनाओं और वित्तीय सहयोग से नरेंद्र सिंह आज आत्मनिर्भर किसान बनकर उभरे हैं। उनके प्रयासों से हिमाचल प्रदेश में मशरूम उत्पादन को बढ़ावा मिल रहा है, जिससे किसानों की आय में बढ़ोतरी हो रही है।
यह सफलता दर्शाती है कि हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाएँ ग्रामीण युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। नरेंद्र सिंह का यह प्रयास "आत्मनिर्भर भारत" की दिशा में एक प्रेरणादायक मिसाल बन चुका है।