
देश के संघीय ढांचे को तोड़ना चाहती है भाजपा
बीजेपी प्राइवेट लिमिटेड के बाद अब राष्ट्र को प्राइवेट लिमिटेड बनाने का एजेंडा…. संदीप सांख्यान
बिलासपुर ब्यूरो
सैकुलरवाद में सांप्रदायिकता का रंग देने वाली भाजपा अब देश की संघीय संरचना "फेडरल स्ट्रक्चर" को प्रेसिडेंशियल संरचना की ओर ले जा रही है जो भारत की मूल संविधानिक संरचना को परिवर्तित करने का षड्यंत्र है यह कहना है प्रदेश कांग्रेस के पूर्व मीडिया कोऑर्डिनेटर संदीप सांख्यान का। गत रोज केंद्र सरकार ने शाही फरमान में एस.एन. ए (सिंगल नोडल एजेंसी) स्पर्श योजना के तहत राज्यों की ट्रेजरी को बाईपास करते हुए आगामी वित्तीय वर्ष से विभागों को विषय संबंध में (प्रोजेक्ट्स) सीधे तौर पर पैसा भेजने के आदेशों ने मूल व्यवस्था को अचंभित किया है। संदीप सांख्यान ने कहा कि प्रत्येक राज्य की अर्थव्यवस्था, भोगौलिक संरचना, व आवश्यकताएं भिन्न होती है, अपितु जिस प्रकार केंद्र राज्यों पर नियंत्रण करना चाह रहा है वह अति दुर्भाग्यपूर्ण है और यह लोकतंत्र में ही प्रजातंत्र की हत्या का प्रयास है। उन्होंने कहा कि भारत की भौगोलिक परिस्थितियां छोटे राज्यों की पक्षधर रही है और छोटे राज्य अपने आधारभूत ढांचे को सुदृढ़ करने के लिए प्रदेश की ट्रेजरी के ऊपर निर्भर करते हैं। वह उन्हें अनेक योजनाओं के अन्तर्गत अनुपात हो या अन्य लाभकारी योजनाओं के अंतर्गत केंद्रीय सहयोग राशि उपलब्ध करवाई जाती हैं। लेकिन केंद्र कि मोदी सरकार एस.एन. ए. स्पर्श योजना के तहत प्रदेश की स्वायत्तता व स्वाभिमान को नियंत्रित करना चाहती है और नियंत्रण भी ऐसा कि जिससे कंट्रोलर जनरल ऑफ़ इंडिया कैग की रिपोर्ट भी नियंत्रित हो जाए और कानून ऐसा जो वर्ल्ड बैंक में भी प्रस्तावित नहीं किया है। सत्ता अहंकार से ग्रसित केंद्र सरकार ने जिस प्रकार भारतीय जनता पार्टी को प्राइवेट लिमिटेड बनाया है इस संरचना पर अब राष्ट्र को भी प्राइवेट लिमिटेड बनाने के प्रयास में जुट गई है। हिमाचल सरकार पर कंगाल होने की टिप्पणी करने वाले प्रधानमंत्री फेडरल स्ट्रक्चर को कितना समझते हैं! हिमाचल प्रदेश इकलौता प्रांत हैं जो सीधे तौर पर धन हस्तांतरण करवाने वाला पहला राज्य है। वर्चुअल माध्यम से गत रोज ही बिलासपुर स्थित फिशरी डिपार्मेंट मे प्रधानमंत्री कार्यालय के साथ हुई बैठक इसका प्रमाण है। लेकिन हिमाचल प्रदेश की ट्रेजरी को कमजोर करने का षड्यंत्र जिस प्रकार केंद्रीय वित्त मंत्रालय व प्रधानमंत्री के राजनीतिक एजेंडा के तहत उपयोग में लाया गया है यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। भाजपा को यह नहीं भूलना चाहिए कि लोकसभा में छोटा होने के कारण हिमाचल का प्रतिनिधित्व केवल चार सांसद करते हैं और सरकारें केंद्र और हिमाचल में भिन्न-भिन्न राजनीतिक दलों की रहती है। केंद्र का नियंत्रण अप्रत्यक्ष रूप से हिमाचल प्रदेश की स्वायत्तता के लिए हानिकारक है और प्रदेश की जनता इसे कतई बर्दाश्त नहीं करेगी।