
बचपन के शुरुआती वर्षों में माँ का महत्व अतुलनीय राम लाल ठाकुर
जुखाला रिपोर्टर
आज डाईट जुखाला में आयोजित जिला स्तरीय "पहली शिक्षक माँ" कार्यक्रम में मुख्यअतिथि के तौर पर शामिल होने का अवसर प्राप्त हुआ |
कार्यक्रम बड़ी संख्या में महिलाओं की भागीदारी रही।इस मौके पर विभिन्न शिक्षा खंडों ने छात्रों द्वारा बनाये गए विभिन्न मॉडल तथा छोटे बच्चों को विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से शिक्षा में रुचिपूर्ण मॉडल प्रस्तुत किए गए। राम लाल ठाकुर ने उपस्थित छात्रों व महिलाओं को संबोधित करते हुए कहा कि बचपन के शुरुआती वर्षों में माँ का महत्व अतुलनीय है। यह वह समय है जब बच्चे का मस्तिष्क सबसे तेजी से विकसित होता है, और माँ इस विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
माँ बच्चे के पहले शिक्षक होती है। माँ बच्चे से बात करके, कहानियाँ सुनाकर और गाने गाकर उनके भाषा विकास को बढ़ावा देती है।
माँ बच्चे को सामाजिक व्यवहार और भावनाओं को समझने में मदद करती है।
माँ बच्चे को दूसरों के साथ घुल मिल कर रहना, सहयोग करना और सहानुभूति रखना सिखाती है। माँ बच्चे को सही और गलत का ज्ञान देती है। माँ बच्चे के जीवन का आधार होती है। बचपन की शुरुआती शिक्षा और देखभाल में माँ की भूमिका को किसी भी अन्य व्यक्ति या संस्था द्वारा प्रतिस्थापित नहीं किया जा सकता है।
इस मौके पर बच्चों द्वारा सांस्कृतिक प्रस्तुतियां भी प्रदर्शित की गई।
इस अवसर पर उप निदेशक क्वालिटी कंट्रोल श्रीमती निशा गुप्ता जी, श्री राकेश मनकोटिया जी प्रिंसिपल डाईट जुखाला, नरेश कुमारी जी उप निदेशक प्रारंभिक शिक्षा बिलासपुर, जुखाला कॉलेज के प्रिंसिपल श्री ध्रुव पाल चंदेल जी, सुमन ठाकुर, दिनेश ठाकुर, पदमदेव शर्मा, कुलदीप भड़ोल, कमल ठाकुर, पवन ठाकुर, हरि सिंह नम्बरदार, सुंदर राम जी, इत्यादि गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।
जारीकर्ता,
हेम चंद ठाकुर, निजी सचिव,
पूर्व मंत्री श्री राम लाल ठाकुर जी।