
बिलासपुर में पर्यावरण संरक्षण और पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए वेटलैंड प्रबंधन पर मंथन
बिलासपुर में वेटलैंड संरक्षण के लिए जिला स्तरीय कार्यशाला आयोजित
बिलासपुर
हिमाचल प्रदेश विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं पर्यावरण परिषद (एच.पी. राज्य वेटलैंड प्राधिकरण) द्वारा जिला स्तरीय वेटलैंड समिति के लिए शनिवार को बचत भवन में एक दिवसीय ओरिएंटेशन कार्यशाला आयोजित की गई। कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य वेटलैंड के संरक्षण, प्रबंधन और पुनर्वास से संबंधित समेकित योजना तैयार करना था, जिसे भारत सरकार को अनुमोदन के लिए प्रस्तुत किया जाएगा।
उपायुक्त आबिद हुसैन सादिक ने कार्यशाला का शुभारंभ किया। उन्होंने वेटलैंड के सतत संरक्षण एवं विकास की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि ये पारिस्थितिकी संतुलन, जल संरक्षण, जैव विविधता के संरक्षण और पर्यटन को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वेटलैंड के संरक्षण के लिए सरकारी प्रयासों के साथ-साथ स्थानीय समुदायों की भागीदारी भी आवश्यक है।
कार्यशाला में विभिन्न विभागों के अधिकारियों, पर्यावरणविदों और विशेषज्ञों ने भाग लिया। वेटलैंड प्रबंधन की मौजूदा स्थिति की समीक्षा कर भविष्य की कार्ययोजना पर चर्चा की गई। सभी संबंधित विभागों को निर्देश दिए गए कि वे अपने-अपने क्षेत्रों में स्थित वेटलैंड का अध्ययन कर विस्तृत कार्ययोजना तैयार करें ताकि उनका प्रभावी संरक्षण और पुनरुद्धार किया जा सके।
बिलासपुर जिले में स्थित प्रमुख वेटलैंडों, जिनमें गोविंद सागर और कौल डेम शामिल हैं, की वर्तमान स्थिति पर भी चर्चा की गई। इन जलाशयों का वैज्ञानिक और पर्यावरणीय आधार पर अध्ययन कर संरक्षण और पुनरुद्धार के लिए कार्ययोजना तैयार की गई। निर्णय लिया गया कि वेटलैंड क्षेत्रों को पर्यटन गतिविधियों से जोड़ा जाएगा, जिससे न केवल पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी सुदृढ़ किया जा सकेगा। जैव विविधता संरक्षण के लिए आवश्यक उपाय अपनाने तथा साइबेरिया और अन्य देशों से आने वाले प्रवासी पक्षियों के अनुकूल वातावरण बनाए रखने हेतु प्रभावी कदम उठाने पर बल दिया गया।
वेटलैंड के समक्ष उत्पन्न खतरों, जैसे जल प्रदूषण, अवैध अतिक्रमण और ठोस अपशिष्ट निस्तारण की समस्याओं पर भी चर्चा हुई। समाधान हेतु ठोस अपशिष्ट प्रबंधन, जल निकासी प्रणाली के सुधार, तथा स्थानीय समुदायों को जागरूक और सहभागी बनाने के उपाय सुझाए गए।
कार्यशाला में वन, पर्यावरण, मत्स्य, सिंचाई, पर्यटन, ग्राम पंचायत और नगर निकाय विभागों के अधिकारियों सहित कई विशेषज्ञों और हितधारकों ने भाग लिया। इस अवसर पर अतिरिक्त उपायुक्त डॉ. निधि पटेल, नेशनल ग्रीन कॉर्प्स के स्टेट कोऑर्डिनेटर रवि कुमार, डीएफओ राजीव कुमार, तथा वरिष्ठ वैज्ञानिक सहायक ऋषव उपस्थित रहे।