
खेलों के माध्यम से राजनीति चमकाने में लगे हैं नड्डा व धूमल परिवार… संदीप सांख्यान
वार्षिक परीक्षाओं के समय खेल महाकुंभ समझ से परे…
बिलासपुर ब्यूरो
हमीरपुर संसदीय क्षेत्र से कांग्रेस के पूर्व वरिष्ठ प्रवक्ता संदीप सांख्यान ने भाजपा नेताओं द्वारा खेल के बहाने अपनी राजनीति चमकाने का आरोप लगाते हुए कहा है कि भाजपा की विकास को लेकर कलई पूरी तरह से खुल चुकी है तथा अब वे खेलों के बहाने न सिर्फ युवाओं को बल्कि जनता को भ्रमित करने के लिए कोई कसर बाकि नहीं छोड़ रहे हैं। वह भी ऐसे समय में जब विद्यार्थियों की वार्षिक परीक्षाओं को चंद दिन शेष बचे हैं। संदीप सांख्यान ने कहा कि मजे की बात तो यह है कि इन खेलों के जरिए नड्डा और धूमल परिवार की गुटबाजी भी मैदान में उतर चुकी है। बात यदि सांसद खेल महाकुंभ की करें तो यह कार्यक्रम पूरी तरह से फ्लाॅप हो चुका है। कागजों में ज्यादा टीमों के प्रवेश बताकर वाहवाही लूटने वाले भाजपा नेताओं को धरातल की स्थिति भी देखनी चाहिए। उन्होंने कहा कि अभी हाल ही में भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष व केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री के पुत्र एवं चेतना संस्था के सचिव हरीश नड्डा द्वारा बालीबाॅल की नकद इनाम राशि की प्रतियोगिता करवाई जा रही है। जो कि पूरे जिला भर में हो रही है। इस प्रतियोगिता को सफल बनाने के लिए जिले के भाजपा नेता पूरी मेहनत कर रहे हैं जबकि सांसद खेल महाकुंभ में इन नेताओं की औपचारिकता भी साफ देखी जा सकती है। उन्होंने कहा कि सांसद खेल महाकुंभ से लोंगो को भ्रमित किया जा रहा है जबकि यह इवेंट अब एक परिवार की बपौती
बनता जा रहा है। हमीरपुर संसदीय क्षेत्र में आज तीसरे सांसद खेल महाकुंभ का उद्घाटन हमीरपुर के सांसद व पूर्व केंद्रीय मंत्री के छोटे भाई कर गए तो यह साफ दिखता है कि यह सांसद खेल महाकुंभ एक परिवार की जागीर बन कर रह गया है। बीते वर्ष लोकसभा के चुनाव थे तो सांसद खेल महाकुंभ के नाम पर हमीरपुर के सांसद व पूर्व केंद्रीय मंत्री पंप एंड शो करने के लिए भारतीय क्रिकेट टीम के बड़े चेहरों रोहित शर्मा और राहुल द्रविड़ जैसे बड़े क्रिकेट ब्रांडों को बिलासपुर बुलाया था। लेकिन वे भी चुनावी समर में गूंजे अबकी बार पांच लाख पार को सार्थक न कर सके। गनीमत रहीं कि कांग्रेस प्रत्याशी की घोषणा को थोड़ा समय लग गया अन्यथा तस्वीर को पलटने में सतपाल रायजादा ने कोई कसर नहीं छोड़ी थी। बहरहाल स्पोटर्स के इस खेल में नड्डा और धूमल
परिवार की अंर्तकलह सामने आ गई है। एक परिवार अपने पुत्र की लांचिग के लिए जगह बना रहा है जबकि दूसरा अस्तित्व की जंग लड़ रहा है। इसमें दो बातें साफ दिखती है कि भाजपा खेलों के नाम पर राजनीति कर रही है और दूसरे यह खेल प्रतियोगिताएं कम और भाजपा के भीतर ही परिवारिक वर्चस्व को लेकर अंदर ही अंदर कोई भुंचाल मचा हुआ है, पर ऐसे में एक प्रश्न यह भी उठता है कि जो खिलाड़ी इन प्रतियोगिताओं का हिस्सा बनते हैं उनको भी खेलों के नाम पर मिसयूज करने का हक किसी को दिया नहीं जा सकता है। चूंकि यह समय बच्चों की परीक्षाओं का चल रहा है तो ऐसे में शासन प्रशासन के साथ अभिभावकों को भी अपने बच्चों के भविष्य को लेकर संज्ञान लेना चाहिए।